तीन तलाक की ऐसी तैसी


पंडित जगन्नाथ उर्फ जगन तिवारी और परवेज मियां ...,दोनों को ही अपनी उस गाजियाबाद जिले की लोनी तहसील स्थित मुस्लिम बहुल कालोनी से नफरत थी जिसमें वो रहते थे ..!
और दूसरी समानता ये थी के दोनों उस कालोनी को छोड़ कर कहीं जा भी नही सकते थे ..!
परवेज मियां एक कंपनी में एकाउंटेंट थे ..
और लगभग चालीस हजार पगार थी उनकी
परवेज ने बहुत पहले ही ये मकान बनवा लिया था ..!
जब यहां जमीन काफी सस्ती थी ..!
अब दूसरी जगह जा के ऐसी प्राइम लोकेशन पे मकान लेने की कुव्वत न थी उनकी ..!
और जगन तिवारी की परचून की जमी जमाई दुकान थी ..!
दूसरी जगह दुकान चले के न चले क्या गारंटी ..?
दोनों के चिढ़ की एक ही वजह थी ..कालोनी वाले मुसलमानों की जाहिलियत ..!
छोटे छोटे दड़बे नुमा मकान और मकान में कीड़े मकोड़े नुमा बच्चे ..!
न पढ़ना न लिखना ..!
पुरुष वर्ग को न कोई काम न धंधा ..!
बस पूरे दिन मजहबी बातें ..!
दूसरी ओर परवेज मियां आधुनिक ख्याल के थे ..!
दो बच्चे और एक खूबसूरत बीबी .रुखसाना .!
जहां बाकी मुसलमानों के बच्चे मदरसे में जाते थे वहीं परवेज के दोनों बच्चे कान्वेंट में पढ़ते थे ..!
पत्नी रुखसाना भी आजाद ख्याल की आधुनिक महिला थीं ..!
उम्र यही कोई पैंतीस छत्तीस बरस ..!
गोरी चिट्टी ..कसा हुआ बदन ..नख शिख से कयामत टपकती थी ..! पैंतीस की होने के बाद भी छब्बीस से ज्यादा की न लगती थीं ...शायद मांसाहार में मौजूद प्रोटीन का ही कमाल था ..!
परवेज और रुखसाना शादी से पहले ही एक दूसरे को जानते थे और एक तरह का प्रेम विवाह ही था दोनों का ..!
रुखसाना बेगम कभी बुरका न पहनती थी ..!
और परवेज मियां भी कभी कभार ही मस्जिद जाते थे नमाज पढ़ने ...वैसे कट्टर मजहबी टाइप के न थे परवेज ..!
और इन्ही सब बातों को ले के अक्सर कालोनी के मौलाना टाइप लोग परवेज से टोका टाकी कर देते थे ...मियाँ अल्लाह से डरो ये काफिरों वाले तौर तरीके ठीक नहीं ..!
कालोनी वाले जितना परवेज से चिढ़ते उतना ही परवेज कालोनी वालों से नफरत करते ..!
चूंकि कालोनी के ज्यादातर लोग जगन तिवारी की दुकान से ही सौदा सुलफ लेते थे और खाली टाइम में तिवारी के ही दुकान पे बैठक करते ...
इसलिए लेटेस्ट से लेटेस्ट खबर से जगन तिवारी अपडेट रहते थे ..!
किसकी बीबी से किसके अवैध संबंध हैं ..!किसने दूसरा निकाह किया ...किसने तलाक़ दिया ..किसका हलाला हुआ ..! कौन सी लड़की किसके साथ भाग गई ..!
किसके घर में चोरी हुई ...और किसका अमरूद मुसलमानों के लौंडे तोड़ ले गए ...सब का इल्म जगन बाबू को रहता ..!
कालोनी के कुछ खबरची अक्सर तिवारी के कान में कोई न कोई खबर उड़ेल ही जाते ..!
जगन तिवारी को यहीं आ के पता चला के ऊपर से एक दिखने वाले मुसलमान... कितने फिरके ..जातियों और उप जातियों में बंटे पड़े हैं ..!
खैर तिवारी और परवेज की आपस में खूब छनती थी ..!
ड्यूटी से आने के बाद परवेज मियाँ तिवारी की दुकान पे एक घंटा सत्संग जरूर करते ..!
और तमाम खबरों से अपडेट होने के बाद कालोनी वालों की
मां ..बहन के शान में कसीदे काढ़ते हुए ही घर जाते ..! साले जाहिल कहीं के ...न पढ़ना न लिखना ..बस ...??
समय बीतता रहा...
परवेज मियाँ की एक सहकर्मी तबस्सुम अक्सर परवेज के घर आती जाती रहती थी ..!
जिसे ले के कई बार रुखसाना और परवेज में कहा सुनी हो चुकी थी ..!
परवेज मियाँ शरीफ मिजाज के आदमी थे पर औरतों के शक का क्या करें ..?
कहतें हैं के शक का इलाज हकीम लुकमान के पास भी नही ..!
एक दिन तबस्सुम का फोन आया परवेज के लिए बस क्या था रुखसाना बेगम राशन पानी ले के चढ़ दौड़ी परवेज मियाँ पे ..!
बहुत देर तक झांय झांय के बाद वही हुआ जिसका डर था ..!
परवेज मियाँ ने कहा जाहिलों के बीच रहते रहते तू भी जाहिल बन गई है ..!
जाहिल हूँ तो तलाक दे दो और ले आओ उसी जिन्नात तबस्सुम को ..!
बस परवेज मियाँ ने आव देखा न ताव बोल दिया तलाक तलाक तलाक ..!
जैसे कयामत टूट पड़ी हो ..!
झगड़े की वजह से पहले ही दस बारह लोग खड़े तमाशा देख रहे थे ..!
अब क्या था कालोनी में बात आग की तरह फैल गई ..! परवेज ने अपनी घरवाली को तलाक दे दिया ..!
तुरन्त ही चार पांच क्लेशजीवी दौड़ के मस्जिद से मुफ़्ती को बुला लाये ..!
परवेज को अपनी गलती का एहसास हुआ ..!
मुफ़्ती ने आते ही सबसे पहले रुखसाना को अपने घर से पड़ोस के घर मे शिफ्ट कराया ..!.रुखसाना भाभी बेहोश हो चुकी थीं
परवेज मुफ़्ती पे भड़क गए ...मैंने कोई तलाक वलाक नहीं दिया है ..!.
मुफ़्ती भी परवेज के काफिरों वाले तौर तरीके से चिढ़ता था ...आज हाथ आया मौका छोड़ने वाला न था मुफ़्ती ..!
परवेज मियाँ चुप रहो .....!!
इस बात के दसों गवाह हैं ..! अब ये तुम्हारा मसला न रहा अब ये मसला ए इस्लाम है ..! मुफ़्ती साहब डपट के बोले ..!
परवेज भी कहे देखें कौन रोकता है मुझे अपने बीबी से मिलने को ..?
मुफ़्ती ने कहा अमा मियाँ तुम्हे कौन रोक रहा है ...? मगर मजहब के कुछ उसूल हैं ...उनके हिसाब से चलो ...पहले हलाला हो जाने दो उसके बाद जी भर के मिलो ..!
परवेज को काटो तो खून नहीं ..!
मासूम बच्चों का चेहरा आंखों के आगे नाचने लगा ..! खूबसूरत रुखसाना और हलाला ...उफ ..!
अब क्या होगा ..??
मुफ़्ती ने एलान किया के सभी अपने अपने घर जाओ बाकी का मसला कल देखा जाएगा ..!
सभी तमाशबीन खुद मुफ़्ती समेत हलाला की उम्मीद मन में संजोए अपने अपने घर हो लिए..!
रुखसाना अपने बच्चों को ले के पड़ोस में रहने वाली अपनी दूर की खाला के यहां रात बिताने चली गई ..!
रात गहराते ही दोनों भागे जगन्नाथ तिवारी के घर ..!
भाई साहब ...! परवेज ने धीरे से आवाज लगाई ..!
पंडिताइन ने भीतर से पूंछा कौन ..?
मैं रुखसाना ...भाभी जी दरवाजा खोलिए ..!
पंडिताइन ने दरवाजा खोला दोनों अंदर आये ..!
जगन तिवारी को सारी बात मालूम थी ही ...!
ये क्या कर दिया परवेज भाई ..? उन्हें खुद ही जाहिल कहते थे और खुद ही जाहिलियत कर बैठे ..!
परवेज गुमसुम बैठे रहे ...!
पर रुखसाना जार जार रोये जा रही थी ..!
तिवारी भैया मैं जहर खा लूंगी पर हलाला के लिए हामी न भरूँगी ..!
परवेज मियाँ ने जगन का हाथ जोर से पकड़ लिया और रुआंसे से ही बोले भाई साहब आप ही कुछ रास्ता निकालिये ..!
दर असल कालोनी में कोई भी समस्या हो तो लोग तिवारी पे ही मशविरा करने आते थे ..!
तिवारी पक्के जुगाड़ू व्यक्ति थे ..!
.पर यहां मामला तो मुसलमानों का था ...। क्या कर सकते थे ..?
थोड़ी देर माथा पच्छी के बाद जगन बाबू बोले चलो कल शहर की बड़ी मस्जिद के इमाम पे चलते हैं !!.उनसे मेरी कुछ जान पहचान है ..!
एक बार असलम डीलर के लड़के की शादी में मुलाकात हुई थी ..!
शायद कुछ गुंजाइश निकल आये ..!
बात तय हो गई .! ..सब अपने अपने घर चल दिये सोने ..!
अगली सुबह क्लेशजीवीओं का मजमा मुहँ अंधेरे ही परवेज के घर के आगे जुटना शुरू हो गया ..!
क्या मरद क्या औरत सभी चटखारे ले रहे थे ..!
नियत समय पे जगन तिवारी और मुफ़्ती भी आ गए ..!
जगन ने कहा भाइयों ..! परवेज और रुखसाना अपना मसला बड़ी मस्जिद के इमाम पे ले जा रहे हैं ..! आप लोग अपने अपने घर जायँ ..!
रात भर हलाला के रंगीन ख्वाब में डूबे मुफ़्ती साहब भड़क गए ..!
अमा तिवारी तुम हमारे मसायल से दूर रहो ..!
बड़ी मस्जिद के इमाम क्या बताएंगे ..??
जो किताब उन्होंने पढ़ी है वही मैंने भी पढ़ी है ..!
जो भी हो अब मामला बड़ी मस्जिद में ही जाएगा ..तिवारी ने जोर देकर कहा ..!
तो चलिए हम भी चलते हैं ..! मुफ़्ती समेत आठ दस लोग औऱ चल दिये बड़ी मस्जिद की ओर ..!
बड़ी मस्जिद के इमाम साहब चाय पानी के बाद...बीड़ी का सुट्टा लगाते ... चार पांच लोगों के साथ बैठ के मोदी योगी का तिया ..पाँचा कर रहे थे ..!
दस बारह आदमियों और एक औरत को अपनी तरफ आते देख ..मामला समझने की कोशिश करने लगे ..! करीब आने पे इमाम ने तिवारी को पहचान लिया ..! आओ पंडत आओ ..कैसे आना हुआ ..? तिवारी ने सारी बात बताई ..!
तलाक की बात सुन के इमाम साहब भड़क उठे ..!
परवेज मियाँ को खरी खोटी सुनाते हुए बोले के तुम जैसे जाहिलों की वजह से आज गौरमेंट को भी हमारे मसायल में टाँग अड़ाने का मौका मिलता है ..!
इमाम साहब ने इस मुद्दे पे एक छोटा मोटा भाषण पिला दिया सबको ..!
तिवारी ने सहमते हुए कहा ...वो सब तो ठीक है ..
पर गुस्से में मुहं से निकल गया ..छोटे छोटे बच्चे हैं ...क्या कोई हल है मसले का ..?
इमाम शांत हो के रुखसाना से मुखातिब हुए ..!
देखिए मोहतरमा ! हम आपकी तकलीफ समझते हैं ...पर हम इस्लाम के उसूलों के पाबन्द हैं ..!
अब दो ही सूरत है ...! या तो आप ऐसे ही तलाकशुदा जीवन गुजारें और दूसरी शादी कर लें ..!
या फिर हलाला ..!
सुनके कालोनी के लौंडे खुश हुए ..!
हलाला नाम से ही कालोनी के निठल्लों में करंट दौड़ने लगता था ..!
रुकसाना भाभी सुबकने लगीं .. या अल्लाह ..!
आगे की कार्रवाई जारी रखते हुए बड़े इमाम ने कहा ..! परवेज मियाँ अपना निकाहनामा दिखाइए ..! जिससे आगे की मेहर वगैरह की रस्म पूरी कर के आपके तलाक़ को मुक्कमल अंजाम तक पहुंचाया जाए ..!
परवेज मियाँ ने कांपते हाथों से कागज आगे बढ़ा दिया ..!
बड़े इमाम ने कागज गौर से देखा ..!
ये क्या है ..?
जी शादी के कागजात हैं यही ..! परवेज ने कहा ..!
ये तो कोर्ट के कागज हैं ..निकाहनामा दिखाइए ..? इमाम साहब बोले ..!.
जी हमने कोर्ट मैरिज करी थी ..!
क्या बक रहे हो मियाँ ..! इमाम साहब भड़क गए ..!
वगैर निकाह के साथ रह रहे हो ..?
जी कहा न के हमने कोर्ट मैरिज किया था ..!
देखो परवेज मियाँ ये काफिरों के तौर तरीके ठीक नही ...तुम्हारे इसी काफ़िर पने की वजह से आज मजहबे इस्लाम खतरे में पड़ता जा रहा है ..!
इमाम साहब कुछ सोचते हुए आसमान की तरफ घूरने लगे ..!!
जगन तिवारी असमंजस में इमाम को देखते हुए बोले...तो इमाम साब तलाक़ का ...
बात बीच में काटते हुए इमाम साब बोले अमा पंडत ..काहे का तलाक जब साले निकाह ही नहीं किये हैं ..! काफ़िर कहीं के ..इमाम साहब बुदबुदाए ..!
कोर्ट में शादी करी है तो तलाक़ भी कोर्ट ही देगा ..!
सुन के तिवारी जी परवेज और रूखसाना को ले के सिर पर पैर धर के भागे ..!
चलो परवेज मियाँ तलाक़ कैंसिल ..!
कालोनी के लौंडे एक बार फिर मायूस हो गए ..!!....

Comments

  1. 5 Star Casino | Review | 2021 - Casino Ow
    5 Star Casino reviews and 제왕 카지노 ratings. Check out our trusted review of the 5 Star 인카지노 Casino online casino, kadangpintar including real players reviews, games, complaints,

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

हिन्दी साहित्य