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तीन तलाक की ऐसी तैसी

पंडित जगन्नाथ उर्फ जगन तिवारी और परवेज मियां ...,दोनों को ही अपनी उस गाजियाबाद जिले की लोनी तहसील स्थित मुस्लिम बहुल कालोनी से नफरत थी जिसमें वो रहते थे ..! और दूसरी समानता ये थी के दोनों उस कालोनी को छोड़ कर कहीं जा भी नही सकते थे ..! परवेज मियां एक कंपनी में एकाउंटेंट थे .. और लगभग चालीस हजार पगार थी उनकी परवेज ने बहुत पहले ही ये मकान बनवा लिया था ..! जब यहां जमीन काफी सस्ती थी ..! अब दूसरी जगह जा के ऐसी प्राइम लोकेशन पे मकान लेने की कुव्वत न थी उनकी ..! और जगन तिवारी की परचून की जमी जमाई दुकान थी ..! दूसरी जगह दुकान चले के न चले क्या गारंटी ..? दोनों के चिढ़ की एक ही वजह थी ..कालोनी वाले मुसलमानों की जाहिलियत ..! छोटे छोटे दड़बे नुमा मकान और मकान में कीड़े मकोड़े नुमा बच्चे ..! न पढ़ना न लिखना ..! पुरुष वर्ग को न कोई काम न धंधा ..! बस पूरे दिन मजहबी बातें ..! दूसरी ओर परवेज मियां आधुनिक ख्याल के थे ..! दो बच्चे और एक खूबसूरत बीबी .रुखसाना .! जहां बाकी मुसलमानों के बच्चे मदरसे में जाते थे वहीं परवेज के दोनों बच्चे कान्वेंट में पढ़ते थे ..! पत्नी रुखसाना भी आजाद ख्याल की आधुनिक महिला थ
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इस काल का नाम वीरगाथा काल रखा है। इस नामकरण का आधार स्पष्ट करते हुए वे लिखते हैं- ...आदिकाल की इस दीर्घ परंपरा के बीच प्रथम डेढ़-सौ वर्ष के भीतर तो रचना की किसी विशेष प्रवृत्ति का निश्चय नहीं होता-धर्म, नीति, श्रृंगार, वीर सब प्रकार की रचनाएँ दोहों में मिलती है। इस अनिर्दिष्ट लोक प्रवृत्ति के उपरांत जब से मुसलमानों की चढाइयों का आरंभ होता है तब से हम हिंदी साहित्य की प्रवृत्ति एक विशेष रूप में बंधती हुई पाते हैं। राजाश्रित कवि अपने आश्रयदाता राजाओं के पराक्रमपूर्ण चरितों या गाथाओं का वर्णन करते थे। यही प्रबंध परंपरा रासो के नाम से पायी जाती है, जिसे लक्ष्य करके इस काल को हमने वीरगाथा काल कहा है। इसके संदर्भ में वे तीन कारण बताते हैं- 1.इस काल की प्रधान प्रवृत्ति वीरता की थी अर्थात् इस काल में वीरगाथात्मक ग्रंथों की प्रधानता रही है। 2.अन्य जो ग्रंथ प्राप्त होते हैं वे जैन धर्म से संबंध रखते हैं, इसलिए नाम मात्र हैं और 3. इस काल के फुटकर दोहे प्राप्त होते हैं, जो साहित्यिक हैं तथा विभिन्न विषयों से संबंधित हैं, किन्तु उसके आधार पर भी इस काल की कोई विशे

हिन्दी साहित्य

आधुनिक काल हिंदी साहित्य का आधुनिक काल भारत के इतिहास के बदलते हुए स्वरूप से प्रभावित था। स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीयता की भावना का प्रभाव साहित्य में भी आया। भारत में औद्योगीकरण का प्रारंभ होने लगा था। आवागमन के साधनों का विकास हुआ। अंग्रेजी और पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव बढा और जीवन में बदलाव आने लगा। आधुनिक काल  –  पद्य आधुनिक काल का परिचय भारतेन्दु युग या नवजागरण काल भारतेन्दु युग के प्रमुख कवि द्विवेदी युग या जागरण सुधार काल द्विवेदी युग के प्रमुख कवि छायावादी युग प्रमुख छायावादी कवि प्रगतिवाद प्रमुख प्रगतिवादी कवि प्रयोगवाद प्रमुख प्रयोगवादी कवि नई कविता तथा इसके कवि आधुनिक काल के प्रमुख कवि छायावाद के आधार स्तंभ मैथिलीशरण गुप्त बालकॄष्ण शर्मा   ‘ नवीन ‘ सुभद्राकुमारी चौहान माखनलाल चतुर्वेदी दिनकर नागार्जुन अज्ञेय मुक्तिबोध जयशंकर प्रस